ढाका: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। मैमनसिंह (Mymensingh) जिले में ईशनिंदा (blasphemy) के आरोप में एक हिंदू युवक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और उसके बाद उसके शव को आग के हवाले कर दिया।

घटना के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है और पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस रिपोर्ट और स्थानीय मीडिया के अनुसार, मृतक की पहचान 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है। दीपू एक स्थानीय कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था।

  • घटनास्थल: यह घटना मैमनसिंह जिले के भालुका उपजिला (Bhaluka upazila) के डुबालिया पारा इलाके में गुरुवार रात को घटी।
  • आरोप: स्थानीय लोगों की एक भीड़ ने दीपू पर पैगंबर के अपमान का आरोप लगाया।
  • बर्बरता: पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उत्तेजित भीड़ ने दीपू को पकड़ लिया और बुरी तरह पीटा। उसकी मृत्यु हो जाने के बाद, भीड़ ने उसके शव को एक पेड़ से बांध दिया और आग लगा दी।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया

भालुका पुलिस स्टेशन के अधिकारी रिपन मिया ने पुष्टि की कि जब पुलिस मौके पर पहुंची, तब तक शव जल चुका था। पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है।

“हम मामले की जांच कर रहे हैं। अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, लेकिन हम मृतक के परिजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।” — स्थानीय पुलिस अधिकारी

सरकार का बयान

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया:

“हम मैमनसिंह में हिंदू युवक की लिंचिंग की पूरी तरह से निंदा करते हैं। नए बांग्लादेश में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

बढ़ता तनाव और सुरक्षा चिंताएं

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शनों से जूझ रहा है। पिछले कुछ महीनों में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की कई खबरें सामने आई हैं। मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है।

इस घटना ने एक बार फिर पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति की ओर खींचा है।